
इस वेबसाइट पर प्राचीन भारतीय पांडुलिपियां अपलोड की गई है ।वेबसाइट पर गुरु जम्भेश्वर नाम से अलग लिंक दिया गया है ।जाम्भाणी साहित्य के इतिहास में यह बहुत बड़ा दिन है ।हमारे जिस जूने पुराने साहित्य के दर्शन के लिये शोधार्थी और जिज्ञासु लोग तरसते थे, अब वे घर बैठे ही इन्हें प्राप्त कर सकते । बिश्नोई समाचार नेटवर्क कि बात चित मे जाम्भाणी साहित्य के लेखको ने कहा कि
इस पुराने साहित्य का 2005 में हमने दिल्ली में डॉ सरस्वती बिश्नोई के दिशा निर्देशन में 3 महीने दिन रात एक करके डिजिटिलाइजेशन किया था ।आज इस मेहनत को सफल होते देख आत्मतोष हो रहा है ।
अभी इसमे कुछ और पृष्ठ जोड़ने है ।अभी काफी साहित्य ऐसा है जिसका डिजिटिलाइजेशन होना शेष है ।शीघ्र ही शेष जूने साहित्य को अकादमी डिजिटल करवाकर एक व्यवस्थित कैटलॉग बनाकर इस जूने जाम्भाणी साहित्य को पूर्ण रूपेण ऑनलाइन करवाएगी। श्री मदनमोहन जी ,श्री जसवंत सिंह जी , स्वामी कृष्णनन्द जी को अकादमी की व बिश्नोई समाचार नेटवर्क एव सम्पूर्ण जाम्भाणी साहित्य प्रेमिओ की ओर से हार्दिक धन्यवाद ।
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