कवक व कीट के प्रकोप से खोखले हो रहे हैं खेजड़ी के वृक्ष
क्षेत्रवासियों कि माँग सरकार राज्य वृक्ष के संरक्षण के लिए उठाये उचित कदम
राजस्थान बाङमेर बिश्नोई समाचार संवाददाता श्वण बिश्नोई फूलण सिवाना उपखंड में इन दिनों राज्य वृक्ष खेजड़ी के अस्तित्व पर संकट का बादल मंडरा रहे हैं। लगातार हो रहे दोहन के गिरते भूजल के साथ कवक व कीट खेजड़ी के वृक्ष को खोखला कर रहे हैं। उपखंड क्षेत्र के भाखरड़ा व खारा बेल्ड में कई खेजड़ी के वृक्ष इनकी चपेट आकर के नष्ट हो चुके है। इनके चलते दिन-बे-दिन खेजड़ी के वृक्षों कि संख्या घट रही है। खेजड़ी के अनुसंधान करने वाले कि माने तो पेयजल कि लिहाज से डार्कजोन में शामिल क्षेत्र में यह रोग खेजड़ी पर ज्यादा असर दिखाते हैं।
कीट पहुँचा रहा है वनस्पति को नुकसान -------
राजस्थान में खेजड़ी के वृक्ष पर सफेद लट व फ्येजरियन आक्सीस्कर्म कवक का प्रयोग बढ़ रहा है।इससे राज्य के मरूप्रदेश पाये जाने वाले खेजड़ी के वृक्ष कि स्थिति चिंताजनक हो गयी है। क्षेत्र में कीट व कवक के प्रकोप से खेजड़ी के वृक्ष खड़े-खड़े ही सुख रहे हैं।संभवतः धिरे-धिरे यह नष्ट हो रहे हैं।
उपयोगी है खेजड़ी --------
खेजड़ी का वृक्ष किसानों व पशुपालकों के लिए उपयोगी है। कम पानी व भीषण गर्मी में भी पनपने वाले खेजड़ी के वृक्ष के कारण कालांतर से अकाल के समय में भी पशुओं कि जान बचाती आई हैं। खेजड़ी कि पतीयाँ चाव से खाती हैं इनमें पोष्टिकता भी भरपूर होती है।साथ ही इनकी सुखी पत्तीयाँ का खाद भी बहुत उपयोगी है। इनके फल सांगरी से सब्जी भी पोष्टीक व जायकेदार बनती हैं। इनकी फलीयाँ सांगरी विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है।इसकी लकड़ीयाँ का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
खेजड़ी का धार्मिक महत्व भी --------
धार्मिक दृष्टि से भी खेजड़ी का विशेष महत्व हैं।वेदों में इसे पवित्र शमी वृक्ष कहां गया हैं।राज्य में कई जगह इनकी पूजा भी कि जाती हैं। बिश्नोई समाज के आराध्य के रूप में प्रचलित के कारण खेजड़ी को पवित्र माना जाता है।खेजड़ी की रक्षा के बिश्नोई संप्रदाय 363 महिला पुरुषों ने अपनी बलि दे दी थी। इस कारण खेजड़ली में हर वर्ष भाद्रावा सुदी दसम् को मेला भरा जाता हैं।
सरकार उठाये उचित कदम --------
खेजड़ी के वृक्ष कि स्थिति चिंताजनक बनी हूई हैं।कीट व कवक के प्रकोप से खेजड़ी के वृक्ष खड़े-खड़े सुख रहे हैं।सरकार को इस ओर ध्यान देकर पर्यावरण को बचाने के उचित कदम उठाने चाहिए।
भिखाराम फूलण
अध्यक्ष बिश्नोई टाईगर्स वन्यजीव एवं पर्यावरण संस्था
इस तरह बचाएं --------
गिरते जलस्तर के लिहाजे से डार्कजोन में शामिल हो चुके क्षेत्र में खेजड़ी के रोग लगने की आशंका ज्यादा हो जाती है।कीट व कवक रोग के बचाव के लिए क्लोरोपायरिफोर व काॅपर ऑक्सीकलोराईड का घोल खेजड़ी कि जड़ों में पिलाएं। इससे रोग को बड़ी हद तक काबू पाया जा सकता हैं।
प्रियंका राजपुरोहित
अनुसंधानकर्ता,वनस्पति विज्ञान जएनयुवी जोधपुर
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