बीकानेर से बिश्नोई समाचार कि रिपोर्ट आप तक
बीकानेर : बिश्नोई समाचार बिश्नोई समाज के तीर्थस्थल मुकाम धाम में दो दिन से चल रहा सालाना मेला आज दिन भर परवान पर रहा। कल भी होगा भव्य मेले का आयोजन देशभर से आए हजारों लोगों ने गुरु जम्भेश्वर भगवान की समाधि पर धोक लगाई और पर्यावरण शुध्धि के लिए अखंड यज्ञ में घी-खोपरों की आहुति दी। राजस्थान के साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओ के जयकारो से समूचा मुकाम छेत्र विष्णु-विष्णु तू भण रे प्राणी के स्वर से गुंजता रहा. आज फाल्गुनी अमावश्या के मौके पर नेताओं ने भी समाधि पर माथा टेका।
भगवान जांभोजी के जयकारे और विष्णु-विष्णु का जाप करते हुए कतारबद्ध हजारो श्रद्धालु अलसुबह से ही दर्शन करने, आहुति देने के साथ ही पापों के प्रायश्चित के लिए ‘पाहल’ ग्रहण भी करते रहे। देशभर से जुटे श्रद्धालु मुकाम में मोजूद संतगणों का आशीर्वाद लेते रहे। इस अवसर पर शबदवाणी का वाचन कर मंत्रोच्चारण के साथ पाहल बनाया गया। श्रद्धालुओं ने पाहल ग्रहण कर अज्ञानवश हुए पाप का प्रायश्चित किया। उन्होंने धर्म के नियमों का दृढ़ता से पालन करने का संकल्प लिया। बिश्नोई समाचार कि कवरेज दूसरी और बिश्नोई महासभा द्वारा आयोजित खुले अधिवेशन अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के चुनावों, पर्यावरण संरक्षण बढ़ते वन्यजीवों के बढ़ते शिकार संबंधी मामलों पर विचार विमर्श और मंथन किया गया। लाखो की भीड़ के बीच मेला संचालन सहित श्रद्धालुओं की अन्य सुविधाओं के लिए इंतजाम किए वहीं सफेद टोपियां लगाए सेवादार भी व्यवस्था में जुटे रहे। यहां से दो किमी दूर समराथल धोरे पर भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस पवित्र धोरे से नीचे उतरकर तालाब की मिट्टी निकालने की परंपरा यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने निभाई। माना जाता है कि इस मिट्टी को हाथ से निकालकर लाने से पुण्य मिलता है। इसके अलावाअमावस्या के इस फाल्गुनी मेले में गायों को गुड-चारा खिलाने की भी होड़ लगी रही तो मेला परिसर में मेल-जोल के साथ ही जरूरतों के सामान के लिए लगे बाजार में खरीदारी भी जमकर हुई। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से कृषि जरूरतों के उपकरण बेचने वाले पहुंचे थे वहीं सौंदर्य प्रसाधनों का अलग बाजार लगा। दूर-दूर से आए कई श्रद्धालु खुले में ही ईंटों से चूल्हा बनाकर रोटियां सेंकते नजर आए। मेले में श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की समाधि पर धोक लगाने के लिए राज्य के दूर दराज स्थानों के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में बिश्नोई समाज के लोग परिवार सहित पहुचे।
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