हिंदी विश्वविद्यालय मुंबई में पहली बार राष्ट्रीय संगोष्टी का आयोजन।
प्रकाशचंद बिश्नोई
मुम्बई। श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के संदेशों को विश्वव्यापी बनाने व 29 नियमों का वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्टी का आयोजन में आज ओर कल मायानगरी मुम्बई में हिन्दी विश्वविद्यालय मुम्बई (सांताक्रुज) में जांभाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा आयोजित होगी। जाम्भाणी साहित्य अकादमी के सचिव श्री मूलाराम जी लोल बिश्नोई बताया कि श्री विष्णु भगवान के अवतार श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने इस मरुभूमि में अवतार लेकर लोक कल्याणकारी सन्देशों से मानवमात्र के कल्याण के लिए एक सरल व सुगम रास्ता बनाया जिसे बिश्नोई धर्म कहा गया। जिसमे "गुरु जाम्भोजी की वाणी में प्रतिबिंबित लोकमंगल" पर दो दिवसीय संगोष्टी में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़, उतराखण्ड, गुजरात क्षेत्रों से बहुत बड़ी संख्या में विद्वतजनों, श्रोताओं, साधु-सन्तों और समाज के राजनैतिक नेताओं बड़ी हस्तियां के पधारने की सम्भावना है। वे अपना प्रवचन करेंगे बिश्नोई धर्म में ऐसे सभी लोग-अनुयायी बने जो इनके लोक कल्याणकारी संदेशों पर आस्था व दृढ विश्वास के साथ पालना में विश्वास रखते थे। दिल्ली से आर के बिश्नोई ने बताया की समाज में शिक्षा में गुणात्मक सुधार हमारी जाति में शिक्षा का प्रचार-प्रसार तो ठिक ही हो रहा है। आज छोटे-छोटे गांवों में भी अनेक बी.ए., एम.ए. व अन्य डिग्री प्राप्त युवक मिल जायेंगे किन्तु उनमें वांछित योग्यता के अभाव में बेरोजगार होकर इधर-उधर मारे-मारे फिरते हैं। हमारे समाज में उच्च पदों पर बहुत ही कम व्यक्ति ही जाते हैं जो नगण्य से है। अत: शिक्षा में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता है ताकि किसी भी प्रतियोंगिता में उत्तीर्ण होकर, उच्च पद पर नियुक्त होकर अपना व जाति का नाम रोशन कर सके। ऐसे कई समाज सुधार हेतु सुझाव प्रस्तुत किये जाएंगे। श्री गुरु ने आज से 550 वर्ष से पहले विश्व को चेता दिया कि भविष्य में किन-किन बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं व उनके जो उपाय बताये, वह एक आज आस्था के रुप मे विद्यमान हैं। जैसे पर्यावरण संरक्षण, अहिंसा, जीवदया, मानसिक विकृति, सामाजिक सहिष्णुता और निरोग जीवन जीने की विधि व विश्व शान्ति कायम रखने के लिए जो विधिसूत्र उन्होंने दिये वह बिश्नोई सम्प्रदाय के 29 नियम बन गये। यह नियम किसी व्यक्ति विशेष, जाति विशेष, क्षेत्र विशेष के लिए नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व के लिए हैं। श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के अनुयायी बिश्नोइ कहलाये और उन्होंने उनके बताये गये रास्तों को प्रायोगिक रुप से चलकर इन नियमों को संजोये रखा, जैसे पर्यावरण संरक्षण के लिए 363 लोगों को खेजड़ी बलिदान व जीवदया व अंहिसा हेतु मूक प्राणियों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी दे देना इस पंथ में आम बात हैं। इसी तरह इन 29 नियमों को इस बिश्नोई पंथ ने आस्था से जोड़कर देखा, वही नियम चाहे वह पर्यावरण संरक्षण हो या अन्य वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए मौजूदा शासन ने इन्हें कानून का रुप श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के चरित्रों व उनके सन्देशों का विश्वव्यापी जन कल्याणकारी बनाने के उद्देश्य से 6 ओर 7 फरवरी को मायानगरी मुम्बई में पहली बार ऐसे कार्यक्रम का आयोजन रखा गया। संत और विद्वान विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। दो दिवसीय संगोष्टी कार्यक्रम विभिन्न राज्यो के ज़िलों से बिश्नोई समाजों के धार्मिक कार्यो में रुचि रखने वाले समस्त भक्तों को इस दो दिवसीय कार्यक्रम में सादर आमत्रिंत किया गया है।
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष-हिन्दी विभाग, मुम्बई विश्वविद्यालय , डॉ. करुणा शकर उपाध्याय तथा राष्टीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के अध्यक्ष स्वामी श्री कृष्णा नन्द जी महाराज एवं महासचिव डा. सुरेन्द्र कुमार खीचड़ बिश्नोई ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का पूर्ण विवरण देते हुए बताया कि हिन्दी विभाग मुम्बई विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर और श्री गुरु जम्भेश्वर चैरिटेबल सोसाईटी, नयागाँव (मुम्बई) निवासी समस्त बिश्नोई समाज द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य संगोष्टी का आयोजन किया जा रहा। जिसमे अखिल भारतीय युवा संगठन के अध्यक्ष किशोर साहू, हरीश भाम्भु, पिराराम खावा, सुरेश डूडी, हरीश गोदारा, ओमप्रकाश ढाका इत्यादि कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।
एक टिप्पणी भेजें