हरिओम बिश्नोई
आज लिखते-लिखते मन की बात जुबां पर आ गई।
कैसे कहे वो बात जो दिल को मेरे रूला गई
जून माह के प्रथम चार दिनों के लिए मुझे किसी के
साथ मेहन्दीपुर श्री बालाजी धाम के दर्शन करने का
सुअवसर प्राप्त हुआ। वहाँ पर दर्शन के लिए आए।
अनेकों भक्तों को कूदते-झूमते देखकर आभास हो रहा
था कि उनपर भूत-प्रेतों का साया है और यह वास्तविकता
भी है कि जिन आत्माओं की मुक्ति नहीं होती वे ऐसे ही
भटकती हुई भूत योनी में आकर कुछ आत्माएं दूसरों को
कष्ट देती हैं। पर हम उस सत्यता को भूल गए कि गुरुवर
जाम्भो जी ने शरण में आने वाले ऐसे भक्तांे के ऊपर से
उन भटकती आत्माओं ;भूत-प्रेतोंद्ध को वश में करके
दोनों का कल्याण किया है। तभी तो उस आत्मा ;प्रेतद्ध ने
;जिससे मेरा सामना हुआद्ध मना कर दिया। अर्थात् जिन
पर वह प्रेत आत्मा आई। तो मैंने कहा बोल जय जाम्भो जी
तो उसने कहा नहीं बोलूंगा। वाद-विवाद होता रहा। वह
मुक्त होने के भय से गुरु जी का नाम न ले सका और बोला
तू नेक इन्सान है।
दो-तीन बिश्नोई बन्धुओं के नाम भी इधर-उधर
पढ़ने को मिले और सत्य भी है कि मानव अपने कष्टों से
दुःखी होकर किसी न किसी के द्वार को अवश्य ही
खटखटाता है। चाहे उस द्वार पर मुक्ति मिले या न मिले।
हर एक द्वार पर ऐसे कष्टों को हरने की अर्थात् जड़ से
समाप्त करने की औषधि नहीं मिलती और यह औषधि
भी अपना असर तभी दिखाती है जब औषधि लेने वाले
का औषधि देने वाले पर अटल विश्वास हो और यह
विश्वास होना भी परम आवश्यक है। जैसा कि इस्लाम
धर्मियों का अपने संस्थापक मो. साहब में व उनके द्वारा
बताए एक निराकार खुदा में सच्चा व अडिग विश्वास है
जो किंचित मात्र भी डगमगा नहीं सकता। ठीक ऐसे ही
विश्वास की आवश्यकता जाम्भोजी के भक्तों को है।
गुरुवर जाम्भोजी ने निराकार विष्णु भगवान की
उपासना करने पर जोर दिया है अर्थात् एक ईश्वरीय
शक्ति में विश्वास करो। ऐसा करने से कोई भी कष्ट या
प्रेत आत्मा उस विश्वासी भक्त के पास नहीं भटक सकती
क्योंकि भगवान विष्णु जी के अवसर रूप श्री राम जी के
परम भक्तों में भक्त हनु ब्रह्मचारी अर्थात् हनुमान ;बालाद्ध
जी हैं। जो अपने स्वामी के भक्तों पर आए कष्टों का
निवारण करने के लिए हर क्षण आगे रहते हैं। ऐसे कष्ट
हमेशा उनको आकर परेशान करते हैं। जिनका विश्वास
अपने मार्गदर्शनकर्ता में नहीं है अर्थात् डगमगाता रहता है।
अन्दर से आत्मविश्वासी बनो और एक ईश्वरीय शक्ति में
विश्वास करो।
पडे ़ के पत्तांे पर पानी गरे ने से कहींज्यादा फल पडे ़ के
मलू ;जडद्ध़ मंे पानी गरे ने से पा्र प्त हाते ाह।ै अगर किसी को
इस पक्र ार का र्काइे भी सकं ट है तो वह घर मंे तीन से सात
आहुि तयांे का गायत्री मत्रं से जाम्भाजे ी का स्मरण करते
नियमित छाटे ा सा हामे करे व प्िर तमाह की अमावस्या को
गरुु वर जाम्भाजे ी के किसी भी मन्दिर पर जाकर यज्ञ करे व
करवाए। पस्र ाद के रूप मंेस्वच्े छा से जोभी लाए हो गरुु जी
के आगे रखकर अपने कष्टांे के निवारण हते ु हाथ जाडे क़ र
विनय करंे आरै सामगी्र की आहुि तयांे के साथ-साथ उस
पस्र ाद की तीन से सात आहुि तयांहवन कण्ु ड की यज्ञाग्नि मंे
दवे ंे आरै बाकी बचे पस्र ाद को जितना सभ्ं ाव हो सके अपने
परिचितांे व परिवार के सदस्यांे मंे श्री विष्णु जी का पस्र ाद
मानकर सपमे्र भटंे करंे तथा पस्र ादका एकभीकण परै ांे मंे न
गिर।े भिखारियांे को पस्र ाद अपनी श्र(ा के अनसु ार दंे या न
दंे पर पक्षियांेको उनका दाना ;चग्ु गाद्ध पस्र ाद के रूप मंे दने ा
न भलू ।ंे लगातारकछु अमावस्या एसे ाकरने सेआपके सभी
सकं ट अवश्य कट जाएगं े तथा जब कभी विचार बने
सपरिवार या अपनी सगं मण्ं डली ;साथियाद्धंे के साथ
गरुु वर जाम्भाजे ीकी तपोभूि म व समाधिस्थलके दशर्न कर
अवश्य लाभ उठाएं आरै वहाँ पर नियमित रूप सेहाने े वाले
यज्ञ मंेआहुि तयां दने ा न भलू ।ंे एसे ाकरने व गरुु वर जाम्भाजे ी
के स्मरण का मन से आपको पणर््ू ा फल की पा्र प्ति हागे ी।
अनके द्वारांे पर भटकने से अच्छाह।ै अपने इषर्् ट दवे व एक
इशर्् वर मंे विश्वासकरोआरै सकं ट मक्ु त रहा।े
-हरिओम बिश्नोई
गुरुद्वारा रोड, नई बस्ती, बिजनौर ;यू.पीद्ध
मो. 9012339705, 9917610327
साभार अमर ज्योति पत्रिका
एक टिप्पणी भेजें