सुनिल जाँगू ;सिदाणी
बिश्नोई समाज विश्व का एक पवित्र समाज है। गुरु
जम्भेश्वर भगवान ने बिश्नोई समाज की स्थापना कर हमें एक
अनमोल धरोहर प्रदान की है। परन्तु आज यह समाज अपने
नियमों की अनदेखी कर रहा है। मैं युवाओं को कहना चाहूँगा
कि समाज की प्रगति में भागीदार बनें। युवाओं को हमेशा
हौंसले के साथ जीवन जीना चाहिए। चाहे कुछ भी हो जाए
आशा नहीं छोड़नी चाहिए। हमेशा आशावादी रहना चाहिए।
”चल तू मंजिल की राह पर, खुद को बेकरार मत कर,
हार भी जीत बन जाएगी, खुद पर यकीन तो कर।“
इस युग में इंसान चलता है मंजिल की चाहत में दुःखों
का सामना हिम्मत से करता है, पर हिम्मत भी हार मानने को
मजबूर हो जाती है। आखिर क्यों, क्योंकि निराशा का दामन
थामने से आशा खो जाती है। जिंदगी जीने का मकसद खत्म
हो जाता है। इसलिए युवाओं हमेशा ऊर्जावान रहना चाहिए।
ऊर्जावान युवा समाज को बहुत कुछ दे सकता है। आज के
दौर में बिश्नोई समाज के अनेक युवा अपने लक्ष्य से भटक रहे
हैं। अनेक तरह के नशे में धुत रहते हैं। कई-कई युवा तो 29 में
से 10 नियम का पालन भी नहीं कर पाते हैं। यह बड़ी विकट
समस्या है। समाज के युवाओं को सोचना चाहिए कि युवा
होकर, बिश्नोई समाज में जन्म लेकर गलत कार्यों में लिप्त
रहते हैं। यह शर्म की बात है।
युवाओं को भलाई के कार्य करने चाहिए। पर्यावरण
संरक्षण व नशामुक्ति का अभियान शुरू करना चाहिए।
समाज में अशिक्षा, बालविवाह, मृत्युभोज जैसी समस्याओं
पर काम करना चाहिए। कुरीतियों को दूर करने का प्रयास
करना चाहिए। समाज के अनेक युवा, अच्छे कार्य भी कर रहे
हैं। मेलों के अवसर पर पर्यावरण की स्वच्छता हेतु अभियान
में युवाओं की भागीदारी सराहनीय है।
समाज सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं होती है। किसी
भी समाज का विकास उस समाज के युवाओं पर निर्भर है।
जितने ज्यादा समाज-सेवक होंगे, उतना की समाज का भला
होगा। बुराई पर अच्छाई की जीत होगी। गलत बातें समाज का
रूप बिगाड़ सकती है और अच्छी आदतें समाज का रूप
संवार सकती हैं। गलत आदतें समाज का पतन कर सकती हैं
और अच्छी आदतें समाज को सर्वश्रेष्ठ बना सकती हैं। हमें
बिश्नोई समाज से बुरी आदतों को निकालकर अच्छी आदतों
का विकास करना है। नियमों का पालन सख्ती से करना
चाहिए। 29 नियमों में हर नियम एक से बढ़कर एक है।
किसी भी नियम को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए।
जिस तरह एक माँ के लिए सभी संतान समान होती हैं
उसी तरह सभी नियम समान हैं। इसके अलावा युवाओं को
संस्कार के लिए बिश्नोई भाइयों व बहिनों को जागरूक करना
चाहिए। संस्कार निर्माण अभियान हर घर में चलना चाहिए।
हर घर में सामूहिक रूप से सुबह-शाम भजन व आरती होनी
चाहिए। इससे बच्चों में धार्मिक संस्कार पनपते हैं। बच्चे
आगे जाकर अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। बच्चों में
गलत कार्यों के प्रति भय पैदा करना चाहिए। घर के बुजुर्ग
बच्चों को पाप व पुण्य के बारे में बताएं। प्रत्येक को सुधार की
शुरूआत अपने आप से करनी चाहिए। धीरे-धीरे सम्पूर्ण
समाज का सुधार हो जाएगा।
युवा किसी भी समाज की सम्पत्ति होता है। धरोहर होता
है। इसलिए बिश्नोई समाज का युवा अगर समाज में सुधार
की ठान ले तो सब कुछ सुधर सकता है। मुश्किलों से घबराना
नहीं चाहिए।
‘मुश्किलों में हौसला काम आता है,
अगर हो हौसला तो इंसान जीत जाता है।’
युवाओं को मजबूत हौसले के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अंत में एक ही बात कहना चाहूँगा - ”युवा दोस्तों कभी भी
परिस्थितियों के गुलाम मत बनिए, मैदान में डटे रहिए
जब तक मंजिल नहीं मिल जाती।“
सुनिल जाँगू ;सिदाणी
प्रशिक्षण अध्यापक,
ग्राम फतेहसागर, पीलवा,
त. लोहावट, जिला जोधपुर
मो. 9772039209
साभार अमर ज्योति पत्रिका
बिश्नोई समाज विश्व का एक पवित्र समाज है। गुरु
जम्भेश्वर भगवान ने बिश्नोई समाज की स्थापना कर हमें एक
अनमोल धरोहर प्रदान की है। परन्तु आज यह समाज अपने
नियमों की अनदेखी कर रहा है। मैं युवाओं को कहना चाहूँगा
कि समाज की प्रगति में भागीदार बनें। युवाओं को हमेशा
हौंसले के साथ जीवन जीना चाहिए। चाहे कुछ भी हो जाए
आशा नहीं छोड़नी चाहिए। हमेशा आशावादी रहना चाहिए।
”चल तू मंजिल की राह पर, खुद को बेकरार मत कर,
हार भी जीत बन जाएगी, खुद पर यकीन तो कर।“
इस युग में इंसान चलता है मंजिल की चाहत में दुःखों
का सामना हिम्मत से करता है, पर हिम्मत भी हार मानने को
मजबूर हो जाती है। आखिर क्यों, क्योंकि निराशा का दामन
थामने से आशा खो जाती है। जिंदगी जीने का मकसद खत्म
हो जाता है। इसलिए युवाओं हमेशा ऊर्जावान रहना चाहिए।
ऊर्जावान युवा समाज को बहुत कुछ दे सकता है। आज के
दौर में बिश्नोई समाज के अनेक युवा अपने लक्ष्य से भटक रहे
हैं। अनेक तरह के नशे में धुत रहते हैं। कई-कई युवा तो 29 में
से 10 नियम का पालन भी नहीं कर पाते हैं। यह बड़ी विकट
समस्या है। समाज के युवाओं को सोचना चाहिए कि युवा
होकर, बिश्नोई समाज में जन्म लेकर गलत कार्यों में लिप्त
रहते हैं। यह शर्म की बात है।
युवाओं को भलाई के कार्य करने चाहिए। पर्यावरण
संरक्षण व नशामुक्ति का अभियान शुरू करना चाहिए।
समाज में अशिक्षा, बालविवाह, मृत्युभोज जैसी समस्याओं
पर काम करना चाहिए। कुरीतियों को दूर करने का प्रयास
करना चाहिए। समाज के अनेक युवा, अच्छे कार्य भी कर रहे
हैं। मेलों के अवसर पर पर्यावरण की स्वच्छता हेतु अभियान
में युवाओं की भागीदारी सराहनीय है।
समाज सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं होती है। किसी
भी समाज का विकास उस समाज के युवाओं पर निर्भर है।
जितने ज्यादा समाज-सेवक होंगे, उतना की समाज का भला
होगा। बुराई पर अच्छाई की जीत होगी। गलत बातें समाज का
रूप बिगाड़ सकती है और अच्छी आदतें समाज का रूप
संवार सकती हैं। गलत आदतें समाज का पतन कर सकती हैं
और अच्छी आदतें समाज को सर्वश्रेष्ठ बना सकती हैं। हमें
बिश्नोई समाज से बुरी आदतों को निकालकर अच्छी आदतों
का विकास करना है। नियमों का पालन सख्ती से करना
चाहिए। 29 नियमों में हर नियम एक से बढ़कर एक है।
किसी भी नियम को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए।
जिस तरह एक माँ के लिए सभी संतान समान होती हैं
उसी तरह सभी नियम समान हैं। इसके अलावा युवाओं को
संस्कार के लिए बिश्नोई भाइयों व बहिनों को जागरूक करना
चाहिए। संस्कार निर्माण अभियान हर घर में चलना चाहिए।
हर घर में सामूहिक रूप से सुबह-शाम भजन व आरती होनी
चाहिए। इससे बच्चों में धार्मिक संस्कार पनपते हैं। बच्चे
आगे जाकर अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। बच्चों में
गलत कार्यों के प्रति भय पैदा करना चाहिए। घर के बुजुर्ग
बच्चों को पाप व पुण्य के बारे में बताएं। प्रत्येक को सुधार की
शुरूआत अपने आप से करनी चाहिए। धीरे-धीरे सम्पूर्ण
समाज का सुधार हो जाएगा।
युवा किसी भी समाज की सम्पत्ति होता है। धरोहर होता
है। इसलिए बिश्नोई समाज का युवा अगर समाज में सुधार
की ठान ले तो सब कुछ सुधर सकता है। मुश्किलों से घबराना
नहीं चाहिए।
‘मुश्किलों में हौसला काम आता है,
अगर हो हौसला तो इंसान जीत जाता है।’
युवाओं को मजबूत हौसले के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अंत में एक ही बात कहना चाहूँगा - ”युवा दोस्तों कभी भी
परिस्थितियों के गुलाम मत बनिए, मैदान में डटे रहिए
जब तक मंजिल नहीं मिल जाती।“
सुनिल जाँगू ;सिदाणी
प्रशिक्षण अध्यापक,
ग्राम फतेहसागर, पीलवा,
त. लोहावट, जिला जोधपुर
मो. 9772039209
साभार अमर ज्योति पत्रिका
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