बजरंग लाल डेलू
माँ की ममता, प्यार पिता का पाया !
पूत के लिए जिन्होंने हर आँसू बहाया।।
माँ ने लोरियाँ रह-रहकर सुनाई!
पिता ने खरीद कर दी शहनाई।।
तेरी ही चिंता जिन्होंने हर पल की है!
खुद मर-मिटकर तुझे ये जिन्दगी दी है।।
माँ का दूध पीकर तू बड़ा हुआ है!
पिता की उंगली पकड़कर खड़ा हुआ है।।
जो तेरे कर्ता, धर्ता, सच्चे पालनहार हैं !
उनसे ही महका ये तेरा भवसंसार है।।
पत्थरों के सामने सर अपना झुकाता है!
माँ-बाप को तू निर्दयी बनकर ठुकराता है।।
पुत्र तेरी ये प्रार्थनाएँ काम नहीं आयेगी!
अगर माँ-बाप को तेरी आत्मा सताएगी।।
बलवंत रहता है तू चारो धामों की शरणों में!
पर सबसे बड़ा तीर्थ है, माँ-बाप के चरणों में।
बजरंग लाल डेलू
गांव काकड़ा, बीकानेर ;राज.
साभार अमर ज्योति पत्रिका
माँ की ममता, प्यार पिता का पाया !
पूत के लिए जिन्होंने हर आँसू बहाया।।
माँ ने लोरियाँ रह-रहकर सुनाई!
पिता ने खरीद कर दी शहनाई।।
तेरी ही चिंता जिन्होंने हर पल की है!
खुद मर-मिटकर तुझे ये जिन्दगी दी है।।
माँ का दूध पीकर तू बड़ा हुआ है!
पिता की उंगली पकड़कर खड़ा हुआ है।।
जो तेरे कर्ता, धर्ता, सच्चे पालनहार हैं !
उनसे ही महका ये तेरा भवसंसार है।।
पत्थरों के सामने सर अपना झुकाता है!
माँ-बाप को तू निर्दयी बनकर ठुकराता है।।
पुत्र तेरी ये प्रार्थनाएँ काम नहीं आयेगी!
अगर माँ-बाप को तेरी आत्मा सताएगी।।
बलवंत रहता है तू चारो धामों की शरणों में!
पर सबसे बड़ा तीर्थ है, माँ-बाप के चरणों में।
बजरंग लाल डेलू
गांव काकड़ा, बीकानेर ;राज.
साभार अमर ज्योति पत्रिका
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