जैसलमेर। #बिश्नोई समाचार सबलसिंह पत्रकार जैसलमेर शहर की हर गली में सुबह की पहली किरण के साथ हाजी मेहरुदीन का इंतज़ार रहता हैं। जब तक हाजी के रिक्शे में लगी घण्टी की आवाज़ नही आती तब तक सब को उडीक रहती हैं। यह क्रम पिछले पन्द्रह सालो से चल रहा हैं। बात कर रहा हूँ जैसलमेर के एक नेक बुजर्ग हाजी मेहरुदीन की। जो गत पंद्रह वर्षों से जैसलमेर शहर की तंग गलियो में भोर की पहली किरण के साथ निकल पड़ता है अपना रिक्शा लेकर। इस रिक्शे में एक घण्टी लगी हैं। प्रत्येक गली में जाकर जैसे घण्टी बजेगी हर घर से लोग रोटियां लेकर निकलेंगे हाजी को सूपुरद करेंगे। हाजी यह रोटियां प्रतिदिन गायो को जीवन देने के लिए एकत्रित करता हैं। खुदा के इस नेक बन्दे को गायो की सेवा से बड़ा शकुन मिलता हैं। मौसम और परिस्थितियां चाहे कैसी हो यह अपने कर्म को अंजाम देता हैं। हाजी मुस्लिम होते हुए भी उसका गो प्रेम अनोखा है। रोटियां इकट्ठी कर अपने हाथो से गायो को खिलाता हैं। देश भर में बवाल मचा हैं। हाजी जैसे लोग आज भी जिन्दा हैं। जो सेवा को अपना कर्म मानते हैं। धर्म की व्याख्या हाजी इबादत से करते हैं। उनका मानना हैं कि हर धर्म शांति एकता और विश्वास भाई चारे का सन्देश देता हैं। मुझे गायो की सेवा से परम आनंद और शकुन मिलता हैं। साम्प्रदायिकता की बात करने वालो को मेहरुदीन से सीखना चाहिए कि सद्भावना से बड़ा कोई धर्म नही। सलाम हाजी चाचा। आपको और आपकी नेक नियति को।
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