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शहीद के शव को लेकर जाते हुए। |
नागौर/जोधपुर. कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हुए जवान जगदीश प्रसाद विश्नोई का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो गांववालों का जमावड़ा लग गया। रविवार को उनका देह पंचतत्व में विलीन हो गई। इस दौरान उनके 4 साल के बेटे ने उन्हें अंतिम सलामी दी। यही नहीं उनके गांव का आसमान शहीद के नारों से गूंज उठा। शहीद की देह जब लाई जा रही थी, तब बड़ी संख्या में भीड़ उनके वीरता का गुणगान कर रही थी। गौरतलब है कि शहीद जवान जगदीश ने कश्मीर में दो आतंकियों को मार गिराया था।
आर्मी चीफ के बिग्रेडियर से लेकर कई अफसर रहे मौजूद
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शहीद पिता को अंतिम विदाई देता 4 साल का बेटा। |
जगदीश को उनके खेत के एक हिस्से में दफनाया गया। इस दौरान आर्मी चीफ के बिग्रेडियर तेजेंद्र सिंह मुंडी, 10 कोर के लेफ्टिनेट कर्नल विनोद कुमार, 24 डिव के मेजर नागेंद्र सिंह, सूबेदार कृष्ण कुमार, नायब सूबेदार लक्ष्मण मान, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल छिरंग शामिल हुए थे। आखिरी सफर के दौरान सेना टुकड़ी ने राजकीय सम्मान के साथ राइफल दागकर सलामी दी।
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शहीद पति के शव को देख बेसुध हुई पत्नी |
सम्मान में जुटे हजारों लोग, वीरता का बखान
शहीद की पार्थिव देह गांव में पहुंचने पर हजारों की तादात में ग्रामीण एकत्रित हो गए। उधर, उद्योग मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर समेत कई नेता मौजूद रहे। सैनिक के चार वर्ष का पुत्र अर्पित गोदारा और पुत्री दिव्या गोदारा ने भी विदाई दी।
शहीद की पार्थिव देह गांव में पहुंचने पर हजारों की तादात में ग्रामीण एकत्रित हो गए। उधर, उद्योग मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर समेत कई नेता मौजूद रहे। सैनिक के चार वर्ष का पुत्र अर्पित गोदारा और पुत्री दिव्या गोदारा ने भी विदाई दी।
बहादूरी से लड़ता रहा दुश्मनों से, साथियों से कहा- छोड़ना मत किसी को
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शहीद बेटे के शव को देख बेसुध हुई मां। |
कश्मीर में 11 सितंबर को मध्यरात्रि में सेना को संदेश मिला कि हंदवाड़ा तहसील के पास पहाड़ी इलाके के खेतों में मक्के की फसलों में आंतकवादी छुपे हैं। पूरी बटालियन के 400 सैनिकों को सर्च ऑपरेशन का आदेश मिला। 11 सितंबर को शाम को ऑपरेशन शुरू हुआ। सैनिकों ने आतंकवादियों को चारों तरफ से घेर लिया। वीरों ने चार आंतकवादियों को मार गिराया। जवाबी फायरिंग में देश के दो सैनिक मारे गए। पांचला सिद्धा गांव की विश्नोइयों की ढाणी के फौजी जगदीश प्रसाद ने बहादुरी दिखाते हुए दो आंतकवादियो को ढेर कर दिया। गोली लगने के बाद भी जगदीश आतंकियों से मुकाबला करता रहा। साथियों को कहता रहा दुश्मनों को छोड़ना मत। बाद में जवाबी फायरिंग में शहीद जगदीश प्रसाद के पेट में गोली लगने पर वह शहीद हो गया। शहीद की अंतिम यात्रा में आए टुकड़ी के जवानों ने यह कहानी बताई और बताया कि जगदीश वाकाई बहुत बहादुर था।
20 दिन पहले भी सर्च ऑपरेशन
इस बटालियन की ओर से बीस दिन पूर्व में भी खेतों में छिपे आंतकवादियों के विरुद्ध सर्च ऑपरेशन हुआ था। बटालियन के सैनिकों ने 3 आंतकवादियों को मार गिराया था।
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