पवित्रता का मानव जीवन में अचूक प्रभाव - आचार्य

धोरीमन्ना पवित्रता का मानव जीवन में अचूक प्रभाव देखने को मिलता है। पवित्रता दो प्रकार की होती है एक बाह्य पवित्रता और दूसरी आन्तरिक पवित्रता। उक्त विचार आचार्य संत डाॅ. गोवर्धनराम शिक्षा शास्त्री ने विराट जांभाणी हरिकथा ज्ञान-यज्ञ के दोरान श्री गुरू जम्भेश्वर मंदिर सोनड़ी धाम में प्रकट किये।
आचार्य श्री ने भगवान श्री जांभोजी की वाणी का उदाहरण देते हुए कहा कि पवित्रता दो प्रकार की होती है एक शारीरिक पवित्रता व दूसरी मानसिक पवित्रता, दोनों के द्वारा ही जीवन में संयम संभव है।
उन्होंने कहा कि तन की शुद्धि जल के द्वारा होती है, मन की शुद्धि सत्य के द्वारा व आत्मा की शुद्धि परमात्मा के भजन के द्वारा होती है। उसमें भी सद्गुरूदेव भगवान श्री जाम्भोजी ने उन्नतीस नियमों की आचार संहिता में नित्य कर्म के रूप में एक नियम दिया ‘‘सेरा करो स्नान‘‘ अर्थात् ब्राह्ममूहुर्त में उठकर संस्थाकाल से पूर्व शौचादि क्रियाओं से निवृत हो, दातुन करके स्नान करें, रात्रि के पहने कपड़े स्नान के बाद पुनः न पहने विशेष ध्यान रखें।
आचार्य श्री डाॅ. गोवर्धनराम जी ने कहा कि गुरू महाराज भगवान श्री जांभोजी ने केवल स्नान करों यह नहीं कहा उसके साथ एक विशिष्ट विशेषण जुड़ा है सेरा(ब्रह्म मूहुर्त) इसका इस उल्लेख किया क्योंकि ब्रह्म मूहुर्त में प्रायः सभी के जीवन में सत्वगुण का प्रभाव देखने को मिलता है, जिसका सम्बम्ध आत्मा के साथ होता हैं। यह एक ऐसी वेला है जिसमें प्रायः देह बुद्धि से उपर उठकर आत्मबुद्धि की स्थिति रहती है। शरीर के लिये पूरा दिन, पूरा जीवन लगा देते है लेकिन जिसके सहारे यह शरीर टिका हुआ है उस आत्मा के लिए हमारे मन में विचार नहीं आता, उस जीव का यदि हित चाहते है, भला चाहते है तो सोचना होगा, विचार करना होगा कि मेरे जीवन का लक्ष्य क्या था और मैं किसी दिशा में आगे बढ रहा हूॅं।
यदि जीवात्मा का भला चाहते है तो इस वेला में उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर सत्वगुण का अधिक से अधिक लाभ हो उठाना चाहिये। क्योंकि कालकाल में केवल परमात्मा का ही नाम ऐसा अचूक साधन है, जिसके द्वारा साधक सध्य की सिद्धि को प्राप्त हो सकता है। यदि अभ्यास किया जाय तो मेरी समझ में मानव के लिये होई कार्य असंभव नहीं है। अतः सेरा स्नान का नित्य प्रयोजन युक्ति के साथ मुक्ति की तैयारी करना है।
विश्नोई समाज सेवा समिति सोनड़ी के उपाध्यक्ष हरिराम खिलेरी ने बताया कि 13 सितम्बर को विशाल जम्भेश्वर मेले में आयोजित होने वाले विश्नोई समाज के खुले अधिवेशन में कक्षा 10वीं व 12वीं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाली बालिकाओं एवं 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले बालकों को तथा समाज की विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं को समाज द्वारा समान्नित किया जायेगा।
इस अवसर पर सोनड़ी पीठाधीश्वर मंहत स्वामी हरिदास जी महाराज रामस्नेही संत सीताराम शास्त्री, स्वामी सदानन्द महाराज, स्वामी रामानन्द, स्वामी भावप्रकाश, स्वामी सत्यमित्रानन्द, स्वामी गोपालदास आदि संत मौजूद थे। मंच संचालन अशोक कुमार मांजू ने किया।
विशाल जम्भेश्वर भजन संध्या आज
श्री गुरू जम्भेश्वर विष्णु धाम सोनड़ी में प्रतिवर्ष की भांति भादवा अमावस्या की रात्रि में विशाल जम्भेश्वर भजन संध्या होगी जिसमें साखी, आरती, भजन, कथा के माध्यम से समाज के संगीताचार्य स्वामी सदानन्द जाजीवाल, पंडित गिरधारी सहित अन्य कलाकार भगवान जाम्भोजी की वाणी एवं नियमों को संगीत के द्वारा जन-जन तक पंहूचायें।

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