सेवड़ी स्थित गुरु जंभेश्वर मंदिर में स्वामी भागीरथदास आचार्य के सान्निध्य में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्ï भागवत कथा के छठे दिन मंगलवार को कथावाचक ने रोचक प्रसंग सुनाए। इस दौरान बड़ी संख्या में विश्नोई समाज के लोगों ने भाग लिया।
कथा के दौरान आचार्य सुदेवानंद महाराज ने कहा कि भागवत कथा कल्पवृक्ष की तरह है, यह इंसान को सत्य से परिचय करवाती है। उन्होंने कहा कि कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि मनुष्य को मृत्यु जैसे सत्य से भागवत कथा ही अवगत करवाती है। स्वामी ने गुरु जंभेश्वर भगवान की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 29 नियमों का पालन करने वाले विश्नोई कहलाए। उन्होंने खेजड़ली बलिदान के बारे में बताया कि पेड़-पौधों की रक्षा करने के लिए 21 सितंबर 1730 को विश्नोई समाज के 71 महिलाएं 292 पुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। तब से लेकर आज तक विश्नोई समाज की ओर से इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी रघुवरदयाल आचार्य ने कहा कि वर्तमान युग में ईश्वर की सच्ची श्रद्धा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भौतिकवादी युग में संस्कार खत्म हो रहे हैं, ऐसे में गुरु जंभेश्वर के बताए नियमों को ग्रहण कर जीवन को सफल बनाना चाहिए। उन्होंने जीवों पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेने अधिकाधिक पौधे लगाने की बात कही। इस दौरान स्वामी राजेंद्रानंद आसुराम सिहोल एंड पार्टी ने विष्णु रो अवतार सदगुरू जांभोजी... गुरू आप समराथल आए म्हारे संतो ने दर्शन दिए... सहित एक से एक भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर भुवनप्रकाश, स्वामी रामेश्वरदास जोधपुर गजानंद महाराज सहित बड़ी संख्या में विश्नोई समाज के लोग मौजूद थे। भागवत कथा के तहत मंगलवार को रात्रि जागरण बुधवार को विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा।
कथा के दौरान आचार्य सुदेवानंद महाराज ने कहा कि भागवत कथा कल्पवृक्ष की तरह है, यह इंसान को सत्य से परिचय करवाती है। उन्होंने कहा कि कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि मनुष्य को मृत्यु जैसे सत्य से भागवत कथा ही अवगत करवाती है। स्वामी ने गुरु जंभेश्वर भगवान की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 29 नियमों का पालन करने वाले विश्नोई कहलाए। उन्होंने खेजड़ली बलिदान के बारे में बताया कि पेड़-पौधों की रक्षा करने के लिए 21 सितंबर 1730 को विश्नोई समाज के 71 महिलाएं 292 पुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। तब से लेकर आज तक विश्नोई समाज की ओर से इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी रघुवरदयाल आचार्य ने कहा कि वर्तमान युग में ईश्वर की सच्ची श्रद्धा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भौतिकवादी युग में संस्कार खत्म हो रहे हैं, ऐसे में गुरु जंभेश्वर के बताए नियमों को ग्रहण कर जीवन को सफल बनाना चाहिए। उन्होंने जीवों पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेने अधिकाधिक पौधे लगाने की बात कही। इस दौरान स्वामी राजेंद्रानंद आसुराम सिहोल एंड पार्टी ने विष्णु रो अवतार सदगुरू जांभोजी... गुरू आप समराथल आए म्हारे संतो ने दर्शन दिए... सहित एक से एक भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर भुवनप्रकाश, स्वामी रामेश्वरदास जोधपुर गजानंद महाराज सहित बड़ी संख्या में विश्नोई समाज के लोग मौजूद थे। भागवत कथा के तहत मंगलवार को रात्रि जागरण बुधवार को विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा।
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