सांचौर। क्षेत्र में नर्मदा नहर परियोजना से
भूमि का सिंचित क्षेत्र बढ़ने से वन्यजीवों के
अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। जंगल व
ओरण-गोचर भूमि में मानव के बढ़ते हस्तक्षेप से
वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण करना मुश्किल
हो गया है। बारिश में वन्यजीवों के लिए
हालात और विकट हो जाते हैं। बारिश होने के
बाद किसानों के खेतों की ओर रूख करने से
वन्यजीवों का आश्रय स्थल घट जाता है।
उनके लिए सिकुड़ते आश्रय स्थल को सुरक्षित
बनाने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास
नहीं किए जा रहे हैं। ऎसे में वन्यजीव जंगलों से
भटक कर आबादी क्षेत्र व सड़कों तक पहुंच जाते
हैं। इससे कई बार वाहनों की चपेट में आकर घायल
हो जाते हैं, वहीं कई बार कुत्तों के चंगुल में फंस
जाते हैं। दरअसल, क्षेत्र में नर्मदा नहर
का पानी आने के बाद में अधिकतर जगहों पर
खेती प्रारम्भ हो चुकी है। ऎसे में वन्यजीवों के
विचरण करने के लिए धीरे-धीरे जगह कम पड़ने
लगी है।
बारिश के बाद करीब-करीब सभी किसान
खेतों में बाजरा, मोठ, मूंग, ग्वार सहित अन्य
फसलों की बुवाई कर देते हैं। ऎसे में खेतों में
लोगों की हलचल बढ़ जाती है।इससे वन्यजीव
खेतों से बाहर निकल कर इधर-उधर घूमते रहते हैं।
घूमते-घूमते गांव की सरहद में पहुंच जाते हैं। ऎसे में
कुत्ते वन्यजीवों को चोटिल कर देते हैं। कई
जगहों पर वन्य जीव नेशनल हाइवे सहित अन्य
सड़कों पर पहुंच जाते हैं। इससे वन्य जीव घायल
हो जाते हैं।
उद्यान में उपचार
धमाणा का गोलिया सरहद में नेशनल हाइवे
पन्द्रह पर अमृता देवी उद्यान में वन्यजीवों के
संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है।
ग्रामीणों की सहायता से उद्यान में पहुंचाए
जाने वाले वन्य जीवों को रखने के साथ
ही घायल हुए हरिणों का डॉ. पूनमाराम
सहित ग्रामीणों की ओर से उपचार
किया जाता है।
15 दिन में 25 हरिण घायल
क्षेत्र में नर्मदा नहर का पानी आ जाने एवं
जनसंख्या में वृद्धि होने से ओरण-गोचर
भूमि भी सिकुड़ गई है। ऎसे में वन्यजीवों के
विचरण पर संकट पैदा हो गया है। इससे
आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं। ऎसे में
कुत्तों की ओर से हरिणों पर हमला कर
दिया जाता है। करीब 15 दिन में 25
हरिणों को कुत्तों ने घायल कर दिया। घायल
हरिणों का अमृता देवी बिश्नोई उद्यान में
उपचार किया जा रहा है, वहीं 12 हरिणों ने
उपचार केन्द्र पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
वन्य जीवों पर संकट
जंगल व ओरण-गोचर की भूमि में मानव के बढ़ते
हस्तक्षेप से वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण
करना मुश्किल हो गया है। वन्यजीवों के लिए
सिकुड़ते आश्रय स्थल को सुरक्षित बनाने के
लिए सरकार की ओर से प्रयास
किया जाना चाहिए।
- पीराराम धायल, वन्य जीव प्रेमी, सांचौर
भूमि का सिंचित क्षेत्र बढ़ने से वन्यजीवों के
अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। जंगल व
ओरण-गोचर भूमि में मानव के बढ़ते हस्तक्षेप से
वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण करना मुश्किल
हो गया है। बारिश में वन्यजीवों के लिए
हालात और विकट हो जाते हैं। बारिश होने के
बाद किसानों के खेतों की ओर रूख करने से
वन्यजीवों का आश्रय स्थल घट जाता है।
उनके लिए सिकुड़ते आश्रय स्थल को सुरक्षित
बनाने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास
नहीं किए जा रहे हैं। ऎसे में वन्यजीव जंगलों से
भटक कर आबादी क्षेत्र व सड़कों तक पहुंच जाते
हैं। इससे कई बार वाहनों की चपेट में आकर घायल
हो जाते हैं, वहीं कई बार कुत्तों के चंगुल में फंस
जाते हैं। दरअसल, क्षेत्र में नर्मदा नहर
का पानी आने के बाद में अधिकतर जगहों पर
खेती प्रारम्भ हो चुकी है। ऎसे में वन्यजीवों के
विचरण करने के लिए धीरे-धीरे जगह कम पड़ने
लगी है।
बारिश के बाद करीब-करीब सभी किसान
खेतों में बाजरा, मोठ, मूंग, ग्वार सहित अन्य
फसलों की बुवाई कर देते हैं। ऎसे में खेतों में
लोगों की हलचल बढ़ जाती है।इससे वन्यजीव
खेतों से बाहर निकल कर इधर-उधर घूमते रहते हैं।
घूमते-घूमते गांव की सरहद में पहुंच जाते हैं। ऎसे में
कुत्ते वन्यजीवों को चोटिल कर देते हैं। कई
जगहों पर वन्य जीव नेशनल हाइवे सहित अन्य
सड़कों पर पहुंच जाते हैं। इससे वन्य जीव घायल
हो जाते हैं।
उद्यान में उपचार
धमाणा का गोलिया सरहद में नेशनल हाइवे
पन्द्रह पर अमृता देवी उद्यान में वन्यजीवों के
संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है।
ग्रामीणों की सहायता से उद्यान में पहुंचाए
जाने वाले वन्य जीवों को रखने के साथ
ही घायल हुए हरिणों का डॉ. पूनमाराम
सहित ग्रामीणों की ओर से उपचार
किया जाता है।
15 दिन में 25 हरिण घायल
क्षेत्र में नर्मदा नहर का पानी आ जाने एवं
जनसंख्या में वृद्धि होने से ओरण-गोचर
भूमि भी सिकुड़ गई है। ऎसे में वन्यजीवों के
विचरण पर संकट पैदा हो गया है। इससे
आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं। ऎसे में
कुत्तों की ओर से हरिणों पर हमला कर
दिया जाता है। करीब 15 दिन में 25
हरिणों को कुत्तों ने घायल कर दिया। घायल
हरिणों का अमृता देवी बिश्नोई उद्यान में
उपचार किया जा रहा है, वहीं 12 हरिणों ने
उपचार केन्द्र पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
वन्य जीवों पर संकट
जंगल व ओरण-गोचर की भूमि में मानव के बढ़ते
हस्तक्षेप से वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण
करना मुश्किल हो गया है। वन्यजीवों के लिए
सिकुड़ते आश्रय स्थल को सुरक्षित बनाने के
लिए सरकार की ओर से प्रयास
किया जाना चाहिए।
- पीराराम धायल, वन्य जीव प्रेमी, सांचौर
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