फ्रांस में पॉपेट ऑफ राजस्थान बने खम्मुराम बिश्नोई

पॉलीथिन के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले
खम्मुराम बिश्नोई को विश्व भर में द पॉपेट
ऑफ राजस्थान के नाम से जाना जाने लगा है।
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में ऑफिस
असिस्टेंट के पद पर कार्यरत इस
व्यक्ति की मुहिम से प्रेरित होकर तत्कालीन
राजस्थान सरकार ने पॉलीथिन मुक्त
राजस्थान का नारा दिया था लेकिन यह
नारा मात्र नारा ही बनकर रह गया।
जागरुकता के बावजूद सरकार इसे राज्य में लागू
करने में असमर्थ रही पर खम्मुराम ने हार
नहीं मानी है, अभी भी वे इस मुहिम को आगे
बढ़ाने में जुटे हुए हैं।
सिरसा में आयोजित राष्ट्रीय
जांभाणी संस्कार शिविर में भाग लेकर वापस
जोधपुर लौट रहे खम्मुराम बिश्नोई ने
डबवाली में इस संवाददाता से विशेष बातचीत
में बताया कि एक अंग्रेजी डॉक्यूमेंट्री में देश
की राष्ट्रीय तथा धार्मिक धरोहरों के निकट
गंदगी का विस्तृत विवरण देखकर उसे
शर्मिंदगी महसूस हुई। साल 2005 में मुकाम
(राजस्थान) से पॉलीथिन के खिलाफ
अभियान की शुरुआत की। पॉलीथिन इकट्ठे
करने शुरू किए। लोगों ने उसे पागल कहते हुए
धक्के मारे लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
अपना तरीका बदला। नाच-गाकर
लोगों को पॉलीथिन के कुप्रभावों से बचने के
लिए प्रेरित करना शुरू किया।
विदेशी फोटो जर्नलिस्ट ने पकड़ी खूबी
साल 2006 में फ्रांस के फोटो जर्नलिस्ट फ्रेंक
वोगेल ने मुकाम में खम्मुराम बिश्नोई को उछल-
उछलकर पॉलीथिन बीनते और
लोगों को जागरूक करते देखा। वोगेल
की बदौलत पर्यावरण मामलों में
संजीदा फ्रांस के एक एनजीओ ने खम्मुराम
को साल 2008 में कोर्चेवेल शहर में आयोजित द
प्लेनेट वर्कशॉप में भारत की ओर से वक्ता के रूप
में आमंत्रित किया। एमकॉम पास खम्मुराम
का भाषण सुनकर पर्यावरण प्रेमी स्तब्ध रह गए।
यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, साल 2011, 12
में फ्रांस के एविआन शहर, 2013 में पेरिस स्थित
यूनेस्को हेडक्वार्टर तथा 2014 में इसी माह
फ्रांस में आयोजित ग्लोबल कांफ्रेंस में भाग लेने
का मौका मिला।
फ्रांसीसियों ने दी संत की उपाधि
पर्यावरण रक्षक खम्मुराम से फ्रांस के लोग इतने
प्रभावित हुए कि उन्होंने खम्मुराम
को पर्यावरण संत के रूप में कहना शुरू कर
दिया है। फोटो जर्नलिस्ट फ्रेंक वोगेल ने
खम्मुराम बिश्नोई पर डॉक्यूमेंट्री तैयार की है।
जिसका नाम ही द पॉपेट ऑफ राजस्थान
रखा है। खम्मुराम ने अपने अभियान से
राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत
की सरकार को पॉलीथिन पर पाबंदी लगाने
के लिए मजबूर कर दिया था। साल 2010 में
मुकाम में आयोजित मेले में भाग लेने आए
तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने
कहा था कि खम्मुराम की मुहिम से प्रभावित
होकर ही सरकार ने पॉलीथिन पर
पाबंदी लगाई है।
भ्रष्टाचार आया अभियान के आड़े
खम्मुराम बिश्नोई ने बताया कि सरकारें
कानून बनाती हैं लेकिन राजनीतिक और
प्रशासनिक भ्रष्टाचार के चलते कानून लागू
नहीं हो पा रहा। इसके लिए लोगों में
जागरुकता जरूरी है। इसलिए मैंने
लोगों को जागरूक करने का अभियान शुरू
किया। अभियान की शुरुआत में लोग मुझे पागल
कहते थे। धक्का देकर गिरा देते थे। कई बार पीट
भी डाला लेकिन उन्होंने
हौसला नहीं छोड़ा। पॉलीथिन मुक्त मुहिम
को जिंदा रखा।
आज उनके साथ 200 लोग जुडे़ हैं।
जिनकी बदौलत मैं केबल राजस्थान में नहीं,
भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस
मुहिम को ले जाने में सफल हुआ हूं। इसका सबसे
अधिक प्रभाव फ्रांस में पड़ा है। जहां एक
पॉलीथिन पांच रुपये में मिलता है। जिसके चलते
लोगों ने स्वयं ही पॉलीथिन से
पीछा छुड़वाना शुरू कर दिया है। अपनी मुहिम
की बदौलत बिश्नोई समाज के सबसे बड़े तीर्थ
स्थल मुकाम को पॉलीथिन मुक्त करने में 80
फीसदी सफलता अर्जित हुई है। वे इसके साथ
ही राष्ट्रीय धरोहरों के इर्द-गिर्द लगने वाले
मेलों में जाकर अपने अभियान को सफल बनाने
के लिए प्रयासरत है। फिलहाल मैं
सरकारी नौकरी में हूं। रिटायरमेंट के बाद इस
अभियान को और तेज करूंगा।

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