हिसार : गुरु जम्भेश्वर जी भगवान विश्व के प्रथम पर्यावरणविद् थे, जिन्होनें पर्यावरण की भयानक समस्या को पांच सौ वर्ष पहले ही समझ लिया था और इसका स्थायी समाधान भी प्रस्तुत किया। हरे वृक्ष नहीं काटना और प्रतिदिन यज्ञ करना जैसे बिश्नोई धर्मके नियम गुरु जाम्भोजी की विशेष देन है। ये विचार फ्रांस से शोध करने हिसार पहुंची सुश्री मारिया शोवो ने बिश्नोई मन्दिर हिसार में व्यक्त किये। सुश्री मारिया शोवो पेरिस के युनिवर्सिटी ऑफ़ पेरिस विश्वविद्यालय में गुरु जाम्भोजी और बिश्नोई समाज पर पी.एच.डी. कर रही है।
सुश्री शोवो ने कहा कि गुरु जाम्भोजी जीवन जीने की एकबहुत ही उत्तम विधि मानव को प्रदान की थी। यदि पूरा विश्व आज गुरु जाम्भोजी द्वारा दिखाये मार्ग पर चले तो सभी ज्वलन्त समस्याओं का समाधान हो सकता है। खेजड़ली घटना पूरे विश्व के लिये आश्चर्य व प्रेरणा का विषय है। बिश्नोई समाज चिपको आन्दोलन का प्रेरक व प्रारम्भ करने वाला है। सुश्री शोवो जोधपुर व बीकानेर में विस्तृत भ्रमण के पश्चात हिसार पहुंची। सुश्री शोवो ने कहा कि गुरु जाम्भोजी के धर्म नियम आज भी प्रासंगिक है तथा पूर्णतः वैज्ञानिक है। सुश्री शोवो ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय स्थित गुरु जम्भेश्वर धार्मिक अध्ययन संस्थान का भी भ्रमण किया व गुरु जाम्भोजी के विषय में जानकारी प्राप्त की।
इस भ्रमण के दौरान सुश्री शोवो ने अमर-ज्योति संपादक डॉ. सुरेन्द्र कुमार बिश्नोई, डॉ. किशनाराम बिश्नोई, प्रो. कृपाराम बिश्नोई, श्री निहालसिंह जौहर, बनवारी लाल एडवोकेट, कामरेड बनवारी लाल गोदारा, मनबीर गोदारा से विस्तृत चर्चा की व बिश्नोई समाज के बारे में जानकारी प्राप्त की।
एक टिप्पणी भेजें