‘पवित्रता जीवन में परम आवश्यक’

 


धोरीमन्ना   न्यूज

जंभेश्वर गुरुद्वारा में सात दिवसीय जांभाणी हरिकथा में प्रवचन के दौरान आचार्य डॉ. गोवर्धनराम शास्त्री ने कहा कि पवित्रता मनुष्य जीवन में परम आवश्यक है। पवित्रता दो प्रकार की होती है बाह्य एवं आभ्यंतर पवित्रता। बाह्य पवित्रता जल से होती जबकि आभ्यंतर पवित्रता सत्य एवं ईश्वर के भजन से होती है।

डॉ. आचार्य ने ईश्वर की त्रिगुणात्मिका प्रकृति के बारे में बताया कि मनुष्य के अंतकरण में जब सत्व गुण की तरंग प्रवाहित होती है तो उसका मन अध्यात्मक एवं परमार्थ की तरफ प्रेरित होता है। मन में जब रजोगुण एवं तमोगुण प्रभावी होता है तो मन संसार के भोगों एवं विषय वासना में प्रवृत्त होता है। मनुष्य को तीनों गुणों से परे निर्गुण निराकार परमात्मा में अपने मन को स्थापित करना चाहिए। दान की महिमा बताते हुए उन्होंने दानोचित गुणों की जानकारी दी। यज्ञ में समर्पित वस्तु अनंत गुणा फलदायी बन जाती है। कोजा के पूर्व सरपंच जगमालराम जांगू ने गुरु भक्ति के भजन प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।

समापन समारोह आज : सात दिवसीय जांभाणी हरिकथा का आज समापन समारोह आयोजित होगा। महंत हरिदास महाराज एवं आचार्य गोवर्धनराम शास्त्री के पावन सानिध्य में सुबह 8.30 बजे वेदमंत्रों एवं शब्दवाणी से यज्ञ एवं पाहल होगा। समापन समारोह में गुड़ामालानी विधायक लादूराम विश्नोई, सांचौर विधायक सुखराम विश्नोई, अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक हीरालाल विश्नोई सहित साधु संत, जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी एवं समाजसुधारक शिरकत करेंगे।

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