हरदा : मध्यक्षेत्र विश्नोई सभा एवं जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार से तीन दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। विश्नोई सभा के अध्यक्ष हीरालाल खोखर ने बताया कि जंभेश्वर मंदिर नीमगांव के 100 साल पूरे होने पर यह आयोजन किया जा रहा है। उदघाटन सत्र जंभेश्वर मांगलिक भवन में हुआ। मुख्य अतिथि डॉ.कपिल तिवारी थे। अध्यक्षता नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने की। बीज वक्ता के रुप में आचार्य गोवर्धनराम व पेरिस के फोटो जर्नलिस्ट फ्रेंक वोगल बतौर अतिथि उपस्थित थे। इस मौके पर डॉ. तिवारी ने कहा कि गुरु जंभेश्वर की जीवन दृष्टि वैदिक जीवन दृष्टि है। उनकी मर्यादा आचरण की मर्यादा है। जंभेश्वर महाराज ने जीने का सादगीपूर्ण तरीका बताया जिससे पर्यावरण व औरों को कोई तकलीफ न हो। उन्होंने इंसान का प्रकृति के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने पर जोर दिया। श्री उपाध्याय ने कहा कि जंभेश्वर वाणी के अनुसार 68 तीर्थ हृदय में बसे हैं। यह समारोह वाणी का आख्यान है। जंभेश्वर महाराज की वाणी कालांतर में पंथ में प्रतिष्ठित हो गई। उन्होंने कहा कि ज्ञान जब आचरण में उतरता है तो व्यक्ति विष्णु हो जाता है। जांभोजी के 29 नियम वैज्ञानिक चिंतन पर आधारित हैं। वे जीने का संदेश देते हैं। शिक्षा शास्त्री डॉ. गोवर्धनराम ने संस्कारों का जीवन में महत्व बताते हुए उनकी व्याख्या की। अतिथियों को अध्यक्ष हीरालाल खोखर, एमएल सारन व पूनम पंवार ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। लक्ष्मीनारायण पंवार ने अतिथियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सभी के आगमन को हर्ष का विषय बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की उन्नति सामाजिक एकता व युवाओं के सोच पर निर्भर करती है। नीमगांव के जंभेश्वर मंदिर के सौ साल पूरे होने पर इतने बड़े पैमाने पर आपसी एकजुटता से मनाया जा रहा यह शताब्दी समारोह इसका प्रमाण है। संचालन आरडी झूरिया ने किया।
प्रदर्शनी ने रिझाया, किताब का विमोचन :
शताब्दी समारोह में फ्रांस से शिरकत करने आए फोटो पत्रकार फ्रेंक वोगल की चुनिंदा फोटोग्राफी की मांगलिक भवन में प्रदर्शनी लगाई गई। जिसे न केवल सभी ने देखा बल्कि मुक्त कंठ से प्रशंसा भी की। इस मौके पर प्रसिद्घ निबंधकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय की कृति'जुग जुग जीवै जंभ लुहारु' का विमोचन किया गया। इस मौके पर समाज के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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