बिश्नोई पर बनी प्रथम बॉलीवुड हिंदी फिल्म का अनावरण बिश्नोईज्म के पावन धाम में महाकुंभ से पहले 27 फरवरी को होगा।
फिल्म में जांभोजी के धरा-आगमन से लेकर (जंभ लीलाओँ) बिश्नोईज्म का उद्गम व श्री भगवन द्वारा प्रदत्त धर्म नियमों के बारे में विस्तृतापुर्वक बताया गया है साथ ही बिश्नोईयों के विश्व विख्यात प्रकृति प्रेम और वर्तमान परिपेक्ष्य में विश्व कल्याण हेतु जांभोजी के नियमों की आवश्यकता को चित्रपठ के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है। बिश्नोईज्म संस्कृति को दर्शाती इस फिल्म को ज्यादातर राजस्थान के हरित क्षेत्र(बिश्नोई बाहुल) और हरियाणा में फिल्माया गया है। फिल्म के निर्माता व निर्देशक श्री रवीन्द्रजी बिश्नोई ने गुरु कृपा से इतना बड़ा प्रयोजन पूरा किया जो निश्चित ही बदलते परिवेश में बिश्नोईयों को धर्म नियमों के पालन में आ रही शिथिलता को दूर करने में मिल का पत्थर साबित होगा। लगभग 2 घंटे से अधिक की यह फिल्म हमें प्रेरणास्वरूप अपने बुजुर्गों की सहादत को याद दिलवाएगी और प्रकृति की रक्षा के प्रति सजगता और मनोवृत्ति को बढ़ाएगी ही नहीं वरन् समूचे विश्व में बिश्नोईज्म के प्रकृति प्रेम पताका फहरायेगी। अनावरण के पश्चात इस फिल्म की डीवीडी मेले में साहित्यिक स्टालों पर आप सभी के लिए उपलब्ध होगी।
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